Breaking News

वोटबैंक सियासत की विवशता


 

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
आईपीएन।
जौनपुर के एक गांव में दलितों के घर जलाने की घटना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत गम्भीरता से लिया। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की गई। पीड़ितों को ना केवल आर्थिक सहायता दी गई, बल्कि सरकार उनको आवास बनाकर भी देगी। इस प्रकार की घटनाओं के लिये किसी सरकार को दोषी नहीं माना जा सकता। लेकिन यह तय है कि योगी आदित्यनाथ विपक्ष के बड़े हमले से बच गए। क्योकि इस घटना में वोटबैंक सियासत का एंगल जुड़ा हुआ है। यदि ऐसा ना होता तो अब तक सरकार के खिलाफ असहिष्णुता अभियान शुरू हो जाता, बहुत संभव था कि अवार्ड व सम्मान की ऑनलाइन वापसी भी शुरू हो जाती। लेकिन पूरा सेक्युलर मोर्चा खामोश है,दलितों के नाम पर सियासत करने वाले दल,नेता व चिंतक भी नदारत है। नरेंद्र मोदी की पहली सरकार बनने के कुछ समय बाद ही देश में सेक्युलरिज्म के दावेदार सक्रिय हो गए थे। इन सभी का नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रति पूर्वाग्रह जगजाहिर था। इसकी गूंज अमेरिका तक भी पहुंची थी। क्योंकि इस खेमे के अनेक लोगों ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा से नरेंद्र मोदी को वीजा ना देने का लिखित आग्रह किया था। इनमें से एक बुद्धिजीवी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो वह भारत छोड़ देंगे। यह बात अलग है कि किसी ने भारत नहीं छोड़ा,उधर अमेरिका ने रेड कार्पेट बिछा कर नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था, क्योंकि नरेंद्र मोदी के साथ भारत की जनशक्ति थी। फिर भी इन हताश विरोधियों ने हथियार नहीं डाले थे। मोदी के खिलाफ असहिष्णुता अभियान चलाया गया। अवार्ड व सम्मान वापसी का दौर चला। यूपीए सरकार के समय की भी कतिपय घटनाओं को जोड़कर कहा जा रहा था कि मोदी के आने के बाद असहिष्णुता बढ़ गई है। बेमुला प्रकरण पर राष्ट्रव्यापी हंगामा हुआ। राहुल गांधी तब दो बार हैदराबाद गए थे। ऐसे अनेक उदाहरण है जब धर्मनिरपेक्षता के इन दावेदारों ने मुखर होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। अभी अधिक दिन नहीं हुए जब कांग्रेस की महासचिव वनवासियों से सहानुभूति दिखाने के लिए सोनभद्र में धरने पर बैठी थी। सीएए के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के धरने को समर्थन देने ऐसे ही दावेदारों में होड़ लगी थी। ये सभी वहां पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे। किसी को इस बात की चिंता नहीं थी कि इस कानून से उत्पीड़ित हिन्दू, बौद्ध, सिख आदि को मानवीय सहायता व न्याय मिलेगा। लेकिन जौनपुर में दलितों के घर जलाने की घटना पर इन सभी सेक्युलर लोगों की खामोशी हैरान करने वाली है। वोटबैंक सियासत के सामने सभी को नतमस्तक देखा गया। घटना को निंदनीय बताने तक का साहस इनमें नही था। जौनपुर के जिन दलितों को यातना झेलनी पड़ी,जिनके घर जला दिए गए,उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिखाई दिए। बिडम्बना देखए योगी की पार्टी भाजपा को साम्प्रदायिक करार दिया जाता है, जिनमें वोटबैंक सियासत के दबाब में सच बोलने की हिम्मत नहीं, वह सब सेक्युलर है। एक अन्य बिडम्बना देखिये, इसी दौरान कांग्रेस के निवर्तमान अध्य्क्ष की अमेरिकी नागरिक से वार्ता का विवरण सामने आता है। इसमें वह यह कहा गया कि भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है और सहिष्णुता खत्म होती जा रही है। जौनपुर की घटना पर उनका कोई बयान नहीं आया,लेकिन अमेरिकी नागरिक के सामने देश की छवि के प्रतिकूल बयान देने में उन्हें कोई संकोच नहीं हुआ। भाजपा की तरफ से कहा गया कि निश्चित रूप से देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी जिस तरह लगातार देश को बदनाम करने की राजनीति कर रही है,उसे देश कभी क्षमा नहीं करेगा। राहुल गांधी द्वारा यह तुलना करना कि अमेरिका में जिस तरह गोरे और काले का विवाद है,और उनके बीच टकराव है, उसी तरह का टकराव भारत में भी हिंदू मुस्लिम और सिख के बीच में भी हो रहा है,वह निश्चित ही निदंनीय और अक्षम्य है। यह बताता है कि राहुल गांधी को देश की महानतम सांस्कृतिक विरासत की बिलकुल भी समझ नहीं है। कुछ भी हो,योगी आदित्यनाथ ने राजनीति की जगह राजधर्म का निर्वाह किया। आरोपियों पर तत्काल गैंगस्टर और एनएसए का लगाने का निर्देश दिया।
जौनपुर के भदेठी गांव में मामूली बात पर दबंगों ने दलितों के घर जला दिए थे। योगी ने कहा कि पीड़ितों को आवास,दस लाख रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की है। साथ ही समाज कल्याण विभाग की तरफ से एक लाख रुपए की सहायता अलग से मिलेगी। सात पीड़ित परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिया जाएगा। इसी प्रकार योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ की घटना को भी गम्भीरता से लिया है। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने विपक्ष की इस खामोशी पर सवाल किए है। उन्होंने लिखा कि मायावती जी, आपने सियासी मंच पर दशकों खुद को दलित की बेटी कह कर सत्ता का मजा लिया है। आज आजमगढ़ की दलित बेटियां आपको पुकार रही हैं और आप चुप हैं। गेस्ट हाउस कांड’ की पीड़ा से कम, यह दर्द नहीं है बहन जी। बहन जी संबोधन की ही लाज रखते हुए चंद अल्फोज बोल दीजिए। आजमगढ़ में मुस्लिम लड़कों ने दलितों को बेरहमी से पीटा। वजह, दलितों ने अपनी बालिकाओं से की जा रही छेड़छाड़ का विरोध किया था। इतनी संवेदनशील घटना पर दलित हित के नाम पर दशकों तक मलाई खाने वाली मायावती और दिलीप मंडल चुप्पी साधे हैं। वह यह भी लिखते है कि दलितों की रहनुमाई की नुमाइश करने वाले बहुरुपिए भीम आर्मी चीफ जौनपुर। आजमगढ़ की लोमहर्षक घटना पर खामोश हो, अपनी गुंडई को दलित शक्ति बताने वाले रावण आजमगढ़ में मुस्लिमों द्वारा सताई तुम्हारी दलित बहनें बिलख रही हैं। क्या पीड़ित का धर्म देख कर तुम्हारा दलित प्रेम उभरता है।

( उपर्युक्त आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )

Leave a Comment

Previous Comments

Loading.....

No Previous Comments found.