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महामंदी के दौर में भी चमक रहा है सोना


 

डॉ. सत्यवान सौरभ
आईपीएन।
कोरोना काल के इस महामंदी के दौर में भी सोने की कीमतों में लगातार जबरदस्त बढ़ोतरी जारी है, हाल ही में भारत में सोने की कीमतें 50000 हज़ार रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी पार कर गईं है, जब संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था संकुचित हो रही है तब सोने की कीमतों में बढ़ोतरी क्यों देखने को मिल रही है? कोरोना वायरस महामारी फैलने और दुनियाभर में लॉकडाउन के बीच जो एक चीज सबसे ज्यादा महंगी हुई है वो है सोना ऐसा क्यों हुआ है ?
अंतरराष्ट्रीय कारोबार में नरमी और आर्थिक गतिविधियों के कमजोर पड़ने के बावजूद सोने के दामों में कोई कमी नहीं आई इसके पीछे क्या कारण है ?. इसके उलट पूरी दुनिया में इसके दाम बढ़ते जा रहें है. दुनिया में चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता माना जाता है। इस वर्ष की पहली छमाही में सोने का भाव काफी ऊँचा रहा है और मार्च माह के अंत तक इसके निचले स्तर से लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
देखा जाये तो 19 जुलाई 2019 को सोने की कीमत 35,382 रुपए थी जो अब 50 हजार रु. प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई है। दुनिया के सोना बाजारों में, सोना 1.3 फीसदी बढ़कर 1,865.81 डॉलर प्रति औंस हो गया, जो पिछले दशक का सबसे अधिक है। अमेरिकी डॉलर में कमजोरी, दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि और अधिक प्रोत्साहन उपायों की उम्मीद ने सोने और चांदी सहित कीमती धातुओं की कीमतें बढ़ा दी हैं।
सोना बाज़ार के आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमत और मांग में बढ़ोतरी के मुख्य कारणों में कोविद-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई वर्तमान वैश्विक अनिश्चितता, पूरी दुनिया में डॉलर का कमज़ोर होना, बैंकों की ब्याज़ दर में कमी और दुनिया भर की विभिन्न सरकारों द्वारा शुरू किये गए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज सोने के बढ़ते भावों के पीछे है।
दूसरी तरफ कोरोना वायरस के कारण लगातार बढ़ती अनिश्चितता और अमेरिका तथा चीन के मध्य उत्पन्न हुए तनाव ने भी इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। माना जा रहा है कि जब तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दरें दोबारा से बढ़ाने की तरफ नहीं जाता है, तब तक सोने की कीमतों में बढ़ोतरी जारी होगी।
पिछले एक साल के दौरान सोने में आई तेजी को देखते हुए इसमें अगले छह महीनों में सीमित बढ़ोतरी के आसार हैं। हालांकि यह देखना होगा कि कोरोनावायरस की स्थिति कैसी रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था कैसा प्रदर्शन करती है। कोरोनावायरस के मामलों या मौतों में बढ़ोतरी से निवेशकों का सोने और चांदी जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों की तरफ रुझान बढ़ेगा, जिससे इन कीमती धातुओं की कीमतें अभी और बढ़ेंगी।
साथ ही सोना बाजार के कई विश्लेषकों का मानना है कि आगामी 18-24 महीनों में सोने की कीमतें लगभग 65,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकती हैं। भारत में शादी जैसे सामाजिक समारोहों का एक अभिन्न अंग माना जाने वाला सोना सालों से पारंपरिक रूप से मुद्रास्फीति के विरुद्ध बचाव के रूप में उपयोग किया जाता रहा है, ऐतिहासिक तथ्य है कि अनिश्चितता के दौरान सोने को निवेशकों के लिये एक सुरक्षित मार्ग माना जाता है।
पूरी दुनिया के बाज़ारों में कोरोना महामारी के कारण निवेशकों में डर का माहौल बना हुआ है। इस बीच सोने की कीमत में लगातार बढ़ोतरी के पीछे कि बात किसी को हज़म नहीं  हो रही है। अगर पीछे के इतिहास पर नज़र दौड़ाये तो हमेशा देखा गया है कि जब भी शेयर बाजार में नुकसान की आशंका हो, डॉलर की तुलना में अन्य मुद्रा कमजोर पड़ने की नौबत हो तो सोने के भाव में उछाल देखा जाता है।
जब भी दुनिया भर के शेयर बाज़ार, रियल एस्टेट और बॉण्ड आदि के मूल्य में गिरावट देखने को मिलता है, तो निवेशक निवेश के लिये सोने की ओर बढ़ते हैं। इसका मुख्य कारण है कि सोना अत्यधिक सुरक्षित प्रॉपर्टी होता है और उसमें नुकसान का जोखिम काफी कम होता है। अत्यधिक सुरक्षित होने का अर्थ है कि सोने को इसकी कीमत में परिवर्तन किये बिना काफी जल्दी बेचा और खरीदा जा सकता है।
सोने के इस मज़बूत प्रदर्शन के पीछे सोने की आपूर्ति में किया गया बदलाव है, बीते वर्षों में सोने की आपूर्ति में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सोने पर किये जाने वाले निवेश निवेशकों को काफी अच्छा फायदा देने वाला रहा हैं। यही कारण है की आज इस दौर में भी सोने पर दांव लगा रहें है।
पिछले एक वर्ष में सोने की कीमतों में तकरीबन 40 प्रतिशत का उछाल आया तो सेंसेक्स (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स) ने 0.41 प्रतिशत का नुकसान दर्ज किया। विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़े बताते है कि भारतीय घरों में लगभग 24,000-25,000 टन सोना जमा है। और  देश भर के विभिन्न मंदिरों में भी सोने की काफी भारी मात्रा मौजूद है, जिसके बारे अनुमान लगाना ही बेहद मुश्किल हो रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2019-20 में तकरीबन 40.45 टन सोना खरीदा था, भारतीय रिज़र्व बैंक के पास मौजूदा सोने की कुल मात्रा 653.01 टन के आस-पास होने का अनुमान है।
अगर हम हमारे यहाँ मांग को देखे तो 2019 में भारत में सोने की मांग 690.4 टन थी, जबकि 2018 में यह 760.4 टन थी। लेकिन अब  भारत में कोरोना वायरस महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण वर्ष 2020 में सोने की मांग लगातार घटती जा रही है। चाहे कुछ भी हो जब आज पूरी दुनिया कि अर्थव्यवस्था औंधे मुहं गिरी है तब सोने की बढ़ती चमक में लोगों को एक सुरक्षित निवेश की आशा नज़र आ रही है।
विश्व स्तर पर कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण निवेशकों का रुझान फिर से सोने की ओर ज्यादा बढ़ गया है, और विकल्पों के अभाव में अब बढ़ता रहेगा। आज के दिन सोने की खरीदारी सुरक्षित निवेश के तौर पर की जा रहा है। दरअसल दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका जब तक बनी रहेगी, तब तक सोने में निवेश की मांग बनी रह सकती है और आगे भी अब सोने की  कीमतों में नई ऊंचाई देखने को भी मिल सकती है।

( उपर्युक्त आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )

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