दीलिप अग्निहोत्री
आईपीएन। दिल्ली सीमा का अपवाद छोड़ दें,तो देश में कहीं भी कृषि कानून के प्रति वास्तविक किसानों का प्रदर्शन दिखाई नहीं दे रहा है। इसका कारण यह है कि किसानों की सहानुभूति पिछली व्यवस्था के प्रति नहीं थी। कृषि मंडी में खरीद का प्रतिशत दहाई तक नहीं था। ऐसे में पुरानी व्यवस्था को वास्तविक किसानों का समर्थन मिलना भी नहीं था। विपक्षी पार्टियों ने इस तथ्य को समझने की कोशिश नहीं कि। इसलिए उनका विरोध भ्रम फैलाने जैसा हो गया। नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर विपक्ष पर हमला बोला। कहा कि कृषि बिल के खिलाफ विपक्षी दल,कुछ संगठन मिलकर भ्रम एवं डर फैलाने में लगे हैं। किसानों को मंडियों से बांधकर पाप किया गया था। नए कानून उनका प्रायश्चित कर रहे हैं। कानून लागू हुए छह महीने हो चुके हैं देश की कोई मंडी अबतक बंद नहीं हुई। नए कानून से किसान को अपनी उपज बाहर बेचने का अधिकार मिला। अब किसान चाहे तो मंडी में बेचे चाहे बाहर जहां लाभ मिले वहां बेचे।
पहले दुर्लभ थी यूरिया
पहले यूरिया की कालाबाजारी होती थी। किसान को खाद नहीं मिलती थी। किसानों को लाठी खानी पड़ती थी। वर्तमान सरकार ने कालाबाजारी के खिलाफ कठोर कदम उठाए। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा। पिछले छह वर्षो में यूरिया की किल्लत नहीं हुई।
कर्जमाफी का धोखा
नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के समय कर्जमाफी के नाम पर धोखा दिया जाता था। राजस्थान के लाखों किसान अबतक कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं। जितनी घोषणा करते हैं उतनी कर्जमाफी नहीं होती थी। कर्जमाफी का असली लाभ इन लोगों के करीबियों,नाते रिश्तेदारों को मिलता था।
बढ़ेगी भंडारण सुविधा
नए कृषि कानून के माध्यम से भंडारण सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। भंडारण की कमी के कारण हर साल देश में एक लाख करोड़ रुपये के फलसब्जी खराब हो जाते थे। इस समस्या से कृषि बिल मुक्ति देगा। किसानों को खाद की किल्लत से मुक्ति दिलाई और फसलों को अच्छा दाम दिलाकर खेती की आय दोगुनी करने के प्रयास लगातार जारी है।
कृषि उत्पाद के बेहतर दाम
समझौते से किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्हें पहले से तय दाम मिलेंगे। लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकता है। किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्वतंत्र होगा। इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्टी नहीं ली जाएगी।
कॉन्ट्रेक्ट में जमीन नहीं
कॉन्ट्रेक्ट केवल फसल का हो सकता है। जमीन का कांट्रेक्ट नहीं होगा। लेकिन कृषि कांनून के विरोधी झूठा प्रचार कर रहे है। कानून में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। समझौता फसलों का होगा,जमीन का नहीं। कई राज्यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्ना, चाय और कॉफी जैसी फसल उगा रहे हैं। अब छोटे किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा।
सरकार बढा रही है एमएसपी
नरेंद्र मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में सर्वाधिक वृद्धि की है। पिछली सरकार में गेहूं पर 1400 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी थी, हम 1975 रुपए दे रहे हैं,पिछली सरकार धान पर 1310 रुपए एमएसपी देती थी,यह सरकार 1870 रुपए दे रही हैं। सरकार की कोशिश रही है कि ज्यादा से ज्यादा एमएसपी पर सरकारी खरीद की जाए। पिछली सरकारों के मुकाबले इस सरकार में किसानों के खाते में कहीं ज्यादा पैसा पहुंचा है।
आठ फर्टिलाइजर प्लांट
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपी के गोरखपुर में, बिहार के बरौनी में और बाकी आठ जगह आधुनिक फर्टिलाइजर प्लांट लगाए जाएंगे। दूसरे देशों से यूरिया मंगाने पर जो हजारों करोड़ खर्च होता है उसे कम किया जाएगा।
किसान सम्मान
प्रधानमंत्री किसान योजना में हर साल किसान को पचहत्तर हजार करोड़ रुपये दिए जा रहे है। यह पैसा सीधा ट्रांसफर हो रहा है। पहले की तरह कोई भ्रष्टाचार नहीं। पिछली सरकार ने दस साल में हजार करोड़ की कर्जमाफी की बात कही थी। नरेंद्र मोदी सरकार किसान को हर साल पचहत्तर हजार करोड़ देना सुनिश्चित किया है। मतलब दस साल में किसानों को साढ़े सात लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। आठ वर्ष तक दबी रही स्वामीनाथन रिपोर्ट पिछली सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को आठ साल तक दबाए रखा। नरेंद्र मोदी ने किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिया।
( उपर्युक्त आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )
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