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मोदी कैबिनेट का नया मंत्रिमंडल क्या देश में लायेगा बदलाव ?


मृत्युंजय दीक्षित 

आईपीएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापक समीक्षा बैठकों व विचार विमर्श के बाद आखिरकार बहुप्रतिक्षित मंत्रिमंडल विस्तार व फेरबदल कर ही दिया है। यह बदलाव बहुत ही चौकानें वाला व अभूतपूर्व रहा है। मोदी कैबिनेट के बदलाव से कई संदेश व संकेत निकल रहे हैं जिन्हें समझना व पहचानना आवश्यक है। मोदी कैबिनेट में बदलाव से अब बीजेपी में भी बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी की आतंरिक राजनीति में भी एक नये युग की शुरूआत होने जा रही है। प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल में जो फेरबदल किया है उसमें मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा व उनके परफारमेंस के आधार पर किया गया है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। युवाओं का प्रमोशन किया गया गया है, उन्हें बढ़ावा दिया गया है। मंत्रिमंडल में महिला मंत्रियों की संख्या बढ़ाकर नारी सशक्तीकरण का एक नया अध्याय शुरू किया गया है। लगभग सभी प्रदेशों के साथ उनकी जनसंख्या व बीजेपी की उपस्थिति के हिसाब से न्याय किया गया है। त्रिपुरा और मणिपुर से लेकर तमिलनाडु आदि प्रांतों से लोगां को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। मंत्रिमंडल में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है, यह भी एक बहुत बड़ा फैसला है। सहकारिता मंत्रालय का गठन करके महाराष्ट्र व गुजरात के एक बड़े हिस्से में ही नहीं अपितु अब सहकारिता के माध्यम से पूरे भारत में बीजेपी की ताकत को बढाने का काम शुरू किया जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार से मोदी सरकार का आकार भी बढ़ गया है हालांकि अभी भी चार से पांच मंत्रियो को शामिल करने व एक दो को इधर-उधर करने की गुंजाइश छोड़ दी गयी है। 
प्रधानमंत्री ने अपनी मंत्रिपरिषद को एकदम नया स्वरूप प्रदान कर दिया है और कइ मंत्रियो की चौंकाने वाले अंदाज में छुटटी भी की गयी है और कुछ का चौकाने वाले अंदाज में प्रमोशन किया गया है या फिर उनका विभाग बदल दिया  गया है। जैसे पेट्रोलियम मंत्री  धर्मेंद्र प्रधान को अब शिक्षा मंत्रालय की बागडोर दे दी गई है वहीं अरूणांचल प्रदेश से आये किरण रिजिजू को कानून मंत्री बनाया गया है । रेलवे में अनिल वैष्णव एक नया चेहरा हैं। वित राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का प्रमोशन हो गया है मंत्रिपरिषद के विस्तार में भाजपा नेतृत्व ने दूसरे दलों से आये नेताओं से जो वादे किये थे उनको भी पूरा कर दिया है। साथ ही यह भी संकेत दे दिया है कि अगर आने वाले समय दूसरे दलों  के और नेता बीजेपी में आना चाहते है तो उनका स्वागत है उनको भी कहीं न कहीं समय के हिसाब से फिटकर दिया जायेगा। मध्य प्रदेश कांग्रेस छोड़कर आये युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंंधया और महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज नेता नारायण राणे को मंत्रिपरिषद में स्थान देकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं और कांग्रेस व अन्य दलों में जिन नेताओं को अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है उन्हें भी संदेश भिजवा दिया है। 
मोदी जी की मंत्रिपरिषद में अनुभव, शिक्षा और युवा शक्ति का समवोश है। मोदी मंत्रिपरिषद में 13 वकील, 6 डाक्टर और 5 इंजीनियर है। इनके अलावा 7 पूर्व नौकरशाह, सात पीएचडी और तीन एमबीए कर चुके हैं। इस नई टीम की औसत आयु 58 साल है 14 मंत्री 50 साल से भी कम उम्र के हैं। 
म्ांत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग व क्षेत्रीय संतुलन का पूरा ध्यान रखा गया है और समाज के हर वर्ग को प्राथमिकता दी गयी है। 5 मंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से हैं इनमें एक मुस्लिम, एक सिख, एक क्रिश्चियन और दो बौद्ध हैं। मंत्रिपरिषद में 27 मंत्री ओबीसी समाज के हैं जिनमें 5 कैबिनेट मंत्री हैं 8 एसटी जाति हैं जिनमें तीन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। 12 एससी जाति के हैं जिनमें दो कैबिनेट मंत्री बनाये गये हैं। 
मंत्रिपरिषद के विस्तार में  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित बंगाल आदि को लेकर विशेष रणनीति बनायी गयी है। बीजेपी की ताजा रणनीति से विरोधी दल भी हैरान हो रहे हैं वहीं समाज के कुछ वर्ग अभी  नाराज हो गये हैं जैसे निषाद व ब्राहमण समाज। निषाद समाज तो इस कदर नाराज हो गया है कि वह धरने व प्रदर्शन आदि की धमकियां दे रहे हैं। मंत्रिपरिषद विस्तार व फेरबदल में गृह ,रक्षा ,वित्त, विदेश, कृषि जैसे अतिमहत्वपर्ण मंत्रालयों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है हालांकि कुछ मंत्रालयां के राज्यमंत्री बदले गये हैं व कुछ की तैनाती की गयी ।  
कई वरिष्ठ मंत्रियां से इस्तीफा लेकर यह कड़ा संदेश दिया गया है कि सरकार के कामकाज और उसकी छवि से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यह बात तो बिल्कुल सही प्रतीत हो रही है कि कोरोना की दूसरी लहर में कुछ प्रबंधन कमजोर तो रहा था और सुप्रीम काेट सहित देश की  विभिन्न अदालतों ने इस प्रकार से जनहित याचिकाओं की सुनवाई की और  फैसले सुनाये थे कि जैसे मान लो देश व राज्यों में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं रह गयी हो। न्यायिक सक्रियता , मीडिया कवरेज और विदेशी समचारा पत्रों की गलत रिपोर्टिंग से सरकार की छवि को कुछ हद तक नुकसान तो हुआ है।  सरकार की छवि को हुए नुकसान को देखते हुए अब समस्याओं का सामूहिक समाधान किया जा रहा है। 
मंत्रिपरिषद विस्तार में उप्र का विशेष ध्यान रखा गया है। केंद्र सरकार में अब प्रदेश से 15 मंत्री हो गये हैं। लखनऊ की मोहनलालगंज की सीट से सांसद कौशल किशोर व जालौन के सांसद भानुप्रताप वर्मा को मंत्री बनाकर एक बडा संदेश प्रदेश की एससी आबादी को दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद विस्तार से सरकार को युवा, सशक्त व ऊर्जार्वान बनाने का सफल प्रयास किया है। 
यह बात तो तय हो गयी है कि पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी का वर्तमान नेतृत्व पूरी तरह से चौकानें वाले फैसले ही लेता है। इस बार मंत्रिपरिषद विस्तार में मीडिया के हर सूत्र धराशायी हो चुके है। टीवी चैनलों व सोशल मीडिया में जिन नामों की गूंज सुनायी दे रही थीं वह कही नजर नहीं आ रहे थे और जिन लागों को कयास लगाये जारहे थे कि उन्हें नहीं हटायाजा सकता वह लोग भी बाहर हो गये। वहीं कुछ का चौकाने वाले अंदाज मे पद परिवर्तन किया गया, तभा यह कहा जा रहा है कि अब मीडिया में भी सूत्रों की खबरों का जाना चला गया है। मीडिया में मंत्री बनाये जाने वाले कई लोगो के नाम की चर्चा थी जिसमें बिहार से सुशील मोदी , यूपी से वरूण गांधी और रीता बहुगुणा जोशी जैसे सांसदो के नाम चल रहे थे और यह भी कहा जा रहा था कि कम से कम कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद जैसी हस्तियां को नहीं हटाया जायेगा। इस प्रकार मीडिया के अधिकांश अनुमान गलत साबित हो गये। यह भी तय हों गया है कि जो लोग केंद्रीय नेतृत्व के साथ जरा सी भी आनाकानी करता है याफिर अपना रंग दिखाता है तो उसका पत्ता भी आसानी से कट जाता है । अब कोई राजनैतिक दबाव बनाकर भी मंत्री पद नहीं पा सकेगा। बिहार के सुशील मोदी अपने अहम का ही शिकार हो गये और वरूण गांधी अपनी कुछ बयानबाजियों व सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों द्वारा पूर्व में चलाये गये अभियानो के शिकार हो गये ? मंत्रिपरिषद विस्तारव फेरबदल से यह भी संदेश जा रहा है कि अब बीजेपी में अटल व आडवणी का युग पूरी तरह से समाप्त हो रहा है और अब भविष्य की एक नयी टीम व संगठन को तैयार किया जा रहा है। 
वर्तमान समय में सर्वे किये जा रहे हैं कि क्या मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार और फेरबदल से सरकार की छवि सुधरेगी और आगामी विधानसभा चुनावो में बीजेपी को लाभ मिलेगा तो अधिकांश सर्वे में 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सरकार की छवि व कामकाज में सुधार होगा। 

( लेख में व्यक्त विचार निजी हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )

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